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विश्व इतिहास | World History

मुख्य/प्रारंभिक विषय सूची अध्याय 1 : पुनर्जागरण    पृष्ठभूमि, पुनर्जागरण से पहले सामाजिक आर्थिक स्थिति, अर्थव्यवस्था, समाज, शिक्षा, पुनर्जागरण के कारण : धर्मयुद्ध, व्यापारिक समृद्धि, कागज और मुद्रणयंत्र, कुस्तुन्तुनिया पर तुर्कों का अधिकार, मंगोल साम्राज्य का उदय। पुनर्जागरण का जन्म स्थान : इटली, उदारवादी सामज, समृद्धि, रोमन सभ्यता, पोप का निवास, लौकिक शिक्षा पर बल। पुनर्जागरण की विशेषताएं : तर्क पर बल, प्रयोग पर बल, मानववाद का समर्थन, सहज सौंदर्य की उपासना। पुनर्जागरण काल में साहित्य कला एवं विज्ञान का विकास, इतावली साहित्य। फ्रांसीसी साहित्य, अंग्रेजी साहित्य, अन्य भाषाओं का साहित्य। कला : विज्ञान, पुनर्जागरण का महत्व एवं परिणाम, निष्कर्ष।

अध्याय 2 :- औद्योगिक क्रांति    औद्योगिक क्रांति का अर्थ, ब्रिटेन के अग्रणी बनने के कारण : प्राकृतिक साधन, जनसंख्या, कृषि विकास, मांग में वृद्धि, यातायात के साधन, सरकार व समाज का सहयोग, तकनीकी विकास। अन्य यूरोपीय देशों में औद्योगिक क्रांति : प्राकृतिक कारक, राजनीति, सामाजिक आर्थिक स्थिति, व्यावहारिक कारण, मनावैज्ञानिक कारण, सरकारी नीतियां, तत्कालीन घटक। औद्योगिक क्रांति के सामाजिक, आर्थिक व रानैतिक प्रभाव। इंग्लैंड की सामाजिक दशा : आर्थिक प्रभाव, राजनीतिक प्रभाव, विचारधारा पर प्रभाव। अन्य देशों में औद्योगीकरण : अमेरिका, जर्मनी, जापान।
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अध्याय 3 : अमेरिका की क्रांति 

क्रांति पूर्व अमेरिका की स्थिति, अमेरिकी क्रांति के कारण : सिद्धान्त, इंग्लैंड सरकार का नगण्य हस्तक्षेप, उपनिवेशों में इंग्लैंड के प्रति प्रेम का अभाव, बौद्धिक चेतना का विकास, दोषपूर्ण शासन व्यवस्था, सप्तवर्षीय युद्ध का प्रभाव, उपनिवेशों का आर्थिक शोषण, उपनिवेशों पर नए कर, राकिंघम की घोषणा। तात्कालिक कारण : लार्ड नार्थ की चाय-नीति, महाद्वीपीय कांग्रेस अधिवेशन, पेरिस की संधि, अंग्रेजों की असफलता के कारण। – अमेरिकी गृहयुद्ध

अध्याय 4 : फ्रांस की क्रांति

क्रांति के लिए उत्तरदायी स्थितियां, क्रांति में विचारकों, दार्शनिकों की भूमिका, क्रांति के विभिन्न चरण, क्रांति के परिणाम, प्रभाव, उपलब्धियां, फ्रांसीसी क्रांति का स्वरूप, प्रकृति।

अध्याय 5 : यूरोप 1870-1914 ई.

सामाजिक स्थिति : जर्मनी, इटली, ब्रिटेन। यूरोप में शक्ति संतुलन,  आर्थिक स्थिति, प्रथम महायुद्ध के कारण : देशों के हितों के टकराव, बड़े देशों का दो शिविरों में बंटवारा, व्यापारिक और औपनिवेशिक प्रतिद्वंद्विता, सैन्यवाद, समाचार पत्रों की भूमिका, सराजेवो हत्याकांड, संधिया, मोरक्को संकट, बाल्कन युद्ध। समाजवाद का विकास : कार्ल मार्क्स, द्वितीय इंटरनेशनल। एशिया की स्थिति : जापान, चीन, दक्षिण पूर्व एशिया। प्रथम विश्व युद्ध, विश्व युद्ध के परिणाम, रूस की क्रांति, पेरिस की शांति संधियां, पेरिस की संधियों का मूल्यांकन।

अध्याय 6 : दो विश्व युद्धों के बीच दुनिया 

संयुक्त राज्य अमेरिका, आर्थिक विकास के बावजूद दुख-दैन्य, 1929 का घोर आर्थिक संकट, दो महायुद्धों के बीच यूरोप का आर्थिक संकट, नस्ली भेदभाव, नई नीति, अमेरिका और विश्व, सोवियत संघ, जापान, उदारवादी प्रजातंत्रों का पतन और अधिनायकवादी शक्तियों का उदय : जर्मनी, चीन, स्पेन, पुर्तगाल, तुर्की। राष्ट्रसंघ की विफलता, राष्ट्र संघ की विफलता के कारण, महायुद्धों के बीच सामूहिक सुरक्षा, कोरिया, दक्षिण पूर्व एशियाई देश : फिलिपींस, हिंद-चीन (इंडो-चाइना) इंडोनेशिया, बर्मा, मलाया, श्रीलंका। पश्चिम एशिया के देश : अफगानिस्तान, ईरान, इराक, सीरिया और लेबनान, अफ्रीका, मिस्र, मोरक्को। दक्षिण अफ्रीका, अखिल अफ्रीकी कांग्रेस नेग्रीच्यूड आंदोलन, दक्षिण अफ्रीका में नस्लवादी जुल्म, लैटिन अमेरिका, मैक्सिको, राष्ट्रसंघ के कार्य, जेनेवा प्रोटोकाल, लोकार्नो की संधिया, राष्ट्रसंघ और निरस्त्रीकरण, राष्ट्रसंघ की असफलता, राष्ट्रसंघ की असफलता के कारण।

अध्याय 7 : द्वितीय विश्वयुद्ध   

द्वितीय विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि, स्पेन-बर्लिन-टोकियो धुरी और स्पेन का गृहयुद्ध, चेकोस्लोवाकिया का विभाजन, द्वितीय विश्वयुद्ध की प्रमुख घटनाएं : पोलैंड पर आक्रमण, रुस का बाल्टिक राज्यों पर अधिकार, जर्मनी का डेनमार्क और नार्वे पर अधिकार, चेम्बरलेन का त्यागपत्र, हालैंड-ब्रेल्जियम पर जर्मन आक्रमण, इटली का युद्ध में प्रवेश, ब्रिटेन का युद्ध, अफ्रीका और भूमध्यसागर के युद्ध, बाल्कन में युद्ध का विस्तार, मध्य पूर्व में ब्रिटेन का प्राधान्य, उत्तर-अफ्रीका में जर्मन ब्रिटिश सेनाओं का संघर्ष, हिटलर का रूस पर आक्रमण, अटलांटिक चार्टर, जापान का अमेरिका पर हमला, जापान का विजय अभियान, रूसी मोर्चा, अफ्रीका में धुरी राष्ट्रों की पराजय, सिसली और इटली पर आक्रमण, रुसी मोर्चा, जर्मनी की पराजय, जापान पर विजय, तेहरान सम्मेलन, संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र, पोट्सडम सम्मेलन, शांति व्यवस्था, संधिया, ऑस्ट्रिया, सान-फ्रासिस्को सम्मेलन, संयुक्त राष्ट्र संघ।

अध्याय 8 : औपनिवेशिक साम्राज्य  

आधुनिक साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद, आर्थिक साम्राज्यवाद, सांस्कृतिक साम्राज्यवाद, औपनिवेशिक नीतियां, उपनिवेशवाद का यूरोपीय देशों पर प्रभाव।

अध्याय 9 : राष्ट्रवाद और उपनिवेशवाद का अंत 

एशिया में उपनिवेशों का अंत, द्वितीय विश्व युद्ध का प्रभाव, भारत की स्वतंत्रता और विभाजन, दक्षिण पूर्व एशिया में ब्रिटिश और डच, इंडोचीन में फ्रांस, अफ्रीका में उपनिवेशवाद का अंत, अल्जीरिया में फ्रांस, बेल्जियम और पुर्तगाल की वापसी, मध्यपूर्व -इजरायल का निर्माण, नवउपनिवेशवाद, नवउपनिवेशवाद के उपकरण : आर्थिक मदद, खुफिया एजेंसियां, विश्व अर्थव्यवस्था पर दबदबा, सांस्कृतिक उपकरण, मीडिया, अमेरिका नवउपनिवेशवाद का जनक, नवउपनिवेशवाद की प्रवृत्तियां, चीनी नवउपनिवेश्वाद, अफ्रीकी देशों में नवउपनिवेशवाद की दस्तक।

अध्याय 10 : शीतयुद्ध

शीतयुद्ध का परिचय, शीतयुद्ध के कारण, शीतयुद्ध के दौर, महाशक्तियों के मध्य देतांत, देतांत का नया दौर, शीतयुद्ध और उसका प्रभाव, प्रथम चरण, सोवियत प्रभाव क्षेत्र के कारण (दूसरा चरण), तीसरा चरण 1980-89, सोवियत संघ का विघटन, 21वीं सदी में संक्रमण, 21वीं सदी में वैश्विक आतंकवाद, सोवियत संघ में साम्यवाद का पतन, उपभोक्ता मांगों को पूरा करने की असमर्थता, लाभांश और प्रेरणा का अभाव, कुप्रबंधन और केंद्रीय योजना समस्याएं, कृषि विफलता, सैन्य अपव्यय, ईरान-इराक युद्ध।

अध्याय 11 : परमाणु शस्त्रा नियंत्राण 

परिचय, परमाणु शस्त्र नियंत्रण के लिए किए गए समझौते, लघु शस्त्र नियंत्रण पर संयुक्त राष्ट्र के प्रयास, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी, निरस्त्रीकरण के लिए सुझाव, भारत की परमाणु नीति, भारतीय परमाणु सिद्धांत।

अध्याय 12 : भूमंडलीकरण और वैश्विक राजनीति

परिचय, भूमंडलीकरण की वर्तमान स्थिति, भूमंडलीकरण के खिलाफ तर्क, भूमंडलीकरण के प्रकार, भूमंडलीकरण के प्रेरक, भूमंडलीकरण की महत्वपूर्ण लहरें, भूमंडलीकरण का लोकतंत्र पर प्रभाव, भूमंडलीकरण के दौर में राजनीतिक अर्थव्यवस्था, ब्रिटेनवुड समझौता और उसका विघटन, गैट से डब्ल्यूटीओ तक।

अध्याय 13 : ऊर्जा की भू-राजनीति  

परिचय, अमेरिकी दबदबा, अमेरिकी साम्राज्यवाद को धक्का, कैस्पियन इलाके का तेल क्षेत्र, तापी पाइपलाइन, होर्मुज खाड़ी का महत्व, रुस-तेल के खेल का नया खिलाड़ी, भू राजनीति और तेल की कीमतें, शेल गैस से ऊर्जा भू राजनीति में बदलाव।

अध्याय 14 : समसामयिक अंतर्राष्ट्रीय राजनीति 

परिचय, यूरोपीय एकीकरण की दिशा में बढ़ते कदम, यूरोप में विघटन की प्रवृत्ति, पश्चिम एशिया में शांति की खोज, खाड़ी संकट। अफगान संकट, पूर्वी तिमोर का संकट, वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा परिदृश्य।

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